गणेश चतुर्थी के पाँच रहस्य और शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी के पाँच रहस्य और शुभ मुहूर्त

भोपाल [ महामीडिया] प्रत्येक माह में दो चतुर्थी होती है। इस तरह 24 चतुर्थी और प्रत्येक तीन वर्ष बाद अधिमास की मिलाकर 26 चतुर्थी होती है। सभी चतुर्थी की महिमा और महत्व अलग अलग है।  2020 में गणेश चतुर्थी 22 अगस्त को मनाई जाएगी, आप भी इस दिन बप्पा को अपने घर लाकर विराजमान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व....  21 अगस्त को 11:02 PM बजे से चतुर्थी तिथि आरंभ हो जाएगी और 22 अगस्त 07:57 PM बजे चतुर्थी तिथि का समापन होगा।गणेश जी का जन्म दिन के समय हुआ था, इसलिए चतुर्थी के दिन उनकी पूजा दिन के समय की जाती है, 11 बजकर 6 मिनट से लेकर 1 बजकर 42 मिनट के बीच गणेश जी की पूजा करें।आओ जानते हैं चतुर्थी का रहस्य।
1.चतुर्थी (चौथ) के देवता हैं शिवपुत्र गणेश। इस तिथि में भगवान गणेश का पूजन से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है। यह खला तिथि हैं। तिथि 'रिक्ता संज्ञक' कहलाती है। अतः इसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं।
2.यदि चतुर्थी गुरुवार को हो तो मृत्युदा होती है और शनिवार की चतुर्थी सिद्धिदा होती है और चतुर्थी के 'रिक्ता' होने का दोष उस विशेष स्थिति में लगभग समाप्त हो जाता है। चतुर्थी तिथि की दिशा नैऋत्य है।
3.प्रत्येक चंद्रमास में दो चतुर्थी होती हैं। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
4.विनायक चतुर्थी के दिन भगवान विनायक अर्थात गणेशजी का जन्म हुआ था। वैसे तो यह हर माह आती है लेकिन भाद्र माह की चतुर्थी बहुत ही महत्व की होती है क्योंकि इसी माह में गणेशजी का जन्म हुआ था। कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को 'वरद विनायक चतुर्थी' और 'गणेश चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है।
5. माघ मास के कृष्ण पक्ष को आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी, माघी चतुर्थी या तिल चौथ कहा जाता है। बारह माह के अनुक्रम में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना सुख-सौभाग्य की दृष्टि से श्रेष्ठ है। चतुर्थी के व्रतों के पालन से संकट से मुक्ति मिलती है और आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
 

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