कजलियाँ पर्व धूमधाम से मनाया गया

कजलियाँ पर्व धूमधाम से मनाया गया

 भोपाल[ महामीडिया] कजलियों का पर्व बघेलखंड और बुंदेलखंड में रक्षाबंधन के दूसरे दिन परीवा को धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व एक-दूसरे से मिलने-मिलाने वाला त्योहार है। इस दिन लोग अपने से बड़ों को कजलियां देकर पैर छूते हुए आशीर्वाद मांगते है।आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक कजलियां पर्व मंगलवार को पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक पारंपरागत पर्व में महिलाएं, पुरुष, बच्चे आदि ने अपनी सहभागिता निभाई। नदी, तालाब और सरोबर में टोकरी और मिटटी को विसर्जित कर कजलियां लेकर लौटी महिलाओं व कन्याओं ने सबसे पहले घर के सदस्यों को कजलियां दी। जहां बड़े-बुजुर्गों ने छोटों को आशीर्वाद दिया तो वहीं छोटों ने बड़ों को प्रणाम कर आशीर्वाद लिया। उल्लेखनीय है कि कजलिया पर्व भाद्रपद महीने की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इसे भुजरिया पर्व भी कहते हैं। यह पर्व, रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को गेहूं की भुजरिया देकर सुख-समृद्धि की शुभकामनाएं देते हैं। मान्यता है कि गेहूं, जौ, और बांस के बर्तनों में खेत की मिट्टी डालकर कजलियों का बीच नागपंचमी के दूसरे दिन ज्यादातर घरों में डाला जाता है,घर की कन्याएं और महिलाएं रक्षाबंधन तक जल देते हुए कजलियों का पौधा तैयार करती हैं। कजलियां मनाने का यहां की पुरानी परंपरा है जो आज भी जीवंत है।  यह पर्व आज भी पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह रहता हैं। जहां सभी जाति-धर्म के लोग एक-दूसरे को कजलियां देकर शुभकामनाएं दी तथा आपसी भाईचारे को बढ़ावा दिया। अशाम से छोटे-छोटे बच्चे एवं बडे बुजुर्ग कजलईया लेकर एक दूसरे के घरों में पहुंचकर गले मिलें।

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