भगवान जगन्नाथ की महाप्रसादी

भगवान जगन्नाथ की महाप्रसादी

भोपाल[ महामीडिया] पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पूरी दुनिया में मशहूर है। इस रथयात्रा को देखने के लिए और इसमें शामिल होने के लिए देश-दुनिया से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचते हैं। इस बार भी 20 लाख से ज्यादा लोगों के पहुंचने का अनुमान है। इस भव्य रथ यात्रा की हर चीज अनूठी है। चाहे वो रथों का निर्माण हो, या सोने से झाड़ू से सफाई, पूजा की विस्तृत विधि हो या भगवान पर चढ़ाया जानेवाला भोग...सभी में व्यापक तैयारी, आस्था और शानदार कार्यकुशलता दिखती है। भगवान जगन्नाथ के लिए भोग की तैयारी उनके रसोई में शुरु होती है। करीब 1100 साल पुरानी ये रसोई लगभग 8000 स्कवायर फीट में है, जिसमें 752 चूल्हे हैं। मंदिर की रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा में है। इसके अलावा रसोई में गंगा-यमुना नाम के दो कुएं हैं, जिसका पानी भोग को बनाने में इस्तेमाल होता है। दुनिया की सबसे बड़ी इस रसोई में 800 लोगों की देखरेख में भोग बनता है, जिसमें 50 रसोईए हैं और 300 सहयोगी हैं। भगवान को हर दिन छह समय भोग लगाया जाता है जिसमें 56 तरह के व्यंजन शामिल होते हैं।भगवान के भोग को पकाने के लिए सिर्फ मिट्टी के पात्र का प्रयोग किया जाता है। और एक बार प्रयोग में लाए जाने के बाद उसे दोबारा इस्तेमाल में नहीं लाया जाता है। इन मिट्टी के बर्तनों कुल 700 हांडियां शामिल हैं, जिसमें से 4 बड़ी हांडियां, 6 मीडियम हांडियां, 5 छोटी हांडियां, 3 विभिन्न प्रकार के बाऊल तथा 3 तरह की प्लेट आदि शामिल हैं। रसोई में लगभग 175 चूल्हों पर चावल बनाए जाते हैं। इन्हें बनाने के लिए 9 बर्तन एक ही साथ, एक के ऊपर एक चूल्हे पर चढ़ाए जाते हैं। इन बर्तनों में सबसे पहले ऊपर वाली मटकी का भोग पकता है और आश्चर्यजनक तरीके से सबसे अंत में नीचे वाली मटकी का भोग तैयार होता है।भगवान जगन्नाथ के लिए उनकी रसोईं में प्रतिदिन भात, दाल, दालमा और अन्य प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं. इसमें सादी खिचड़ी, नुखुरा खिचड़ी, करमाबाई खिचड़ी, दही पाखाल, बेसर, भाजी, सुबास परवाल, आदि चढ़ाया जाता है। जगन्नाथ भगवान को लगाए जाने वाला ये भोग पूरी तरह से सात्विक होता है, इसमें लौंग, आलू, टमाटर, लहसुन, प्याज तथा फूलगोभी का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इस भोग को आप मंदिर परिसर में आनंद बाजार से प्राप्त कर सकते हैं। भगवान के लिए लगाए जाने वाले इस भोग की खासियत है कि यहां पर कितने भी भक्तगण आ जाएं, यह कभी कम नहीं पड़ता है। भगवान जगन्नाथ के लिए चढ़ाया जाने वाला छप्पन भोग भी काफी प्रसिद्ध है। आमतौर पर किसी भी मंदिर में भगवान को चढ़ाया जाने वाला भोग 'प्रसाद' कहलाता है लेकिन पुरी में भगवान जगन्नाथ को जो भोग चढ़ाया जाता है, उसे 'महाप्रसाद' कहा जाता है। 

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