चार बार ऋतु परिवर्तन के समय नौ दिवसीय देवी पूजा का विधान

चार बार ऋतु परिवर्तन के समय नौ दिवसीय देवी पूजा का विधान

मैहर [महामीडिया] नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्माचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।एक साल में कुल चार बार नवरात्रि आती है। पहली चैत्र मास में, दूसरी आषाढ़ में, तीसरी आश्विन में और चौथी माघ मास में। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रियां सामान्य होती हैं। इन नवरात्रियों में देवी की सरल तरीकों से पूजा की जाती है।आषाढ़ और माघ मास में गुप्त नवरात्रि कही जाती है। इन महीनों में देवी की दस महाविद्याओं के लिए गुप्त साधानाएं की जाती हैं। साल में चार बार नवरात्रि आती है और चारों बार दो ऋतुओं के संधिकाल में देवी पूजा का ये पर्व मनाया जाता है। ऋतुओं का संधिकाल यानी एक ऋतु के जाने का और दूसरी ऋतु के आने का समय।चैत्र मास में शीत ऋतु खत्म होती है और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। आषाढ़ में ग्रीष्म ऋतु जाती है और वर्षा ऋतु आती है।आश्विन मास में वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत आती है। माघ मास में शीत ऋतु जाती है और बसंत ऋतु आती है। 

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