महाकुंभ में नागा सन्यासियों की जलधारा तपस्या
प्रयागराज [ महा मीडिया] महाकुंभ में गंगा के तट पर 3 जनवरी को यह जलधारा तपस्या शुरू की थी। पहले दिन 31 घडे़े गंगाजल से स्नान किया था। रोज कभी 2 तो कभी 3 घड़ों की संख्या बढ़ाई जाती है। इसी तरह 21वें दिन 108 घड़े के जल से स्नान कर इस तपस्या का समापन किया जाता है। प्रयागराज महाकुंभ में हठ योगियों की विभिन्न हठ योग साधना इस समय श्रद्धालुओं के लिए कौतुहल का विषय बनी हुई है। महाकुंभ में सेक्टर-20 में अटल अखाड़ा के बाहर हठ योग साधना भी निराली है। त्रिवेणी की ठंडी रेत में कड़ाके की ठंड में जब तेज हवा हो, गंगा जी का घाट और ठंडा पानी हो, जहां लोग रजाई-कंबल से निकलने में कतराते हैं, नहाना भी हो तो गीजर का पानी या गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैंवहीं महाकुंभ में नागा साधु ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे 82 घड़ों के गंगा जी के ठंडे पानी से प्रतिदिन स्नान करते हैं। इस साधना का नाम ‘जल तपस्या’ है। स्नान के बाद वह कपड़े भी नहीं पहनते। इसके बाद गंगा जी की पूजा, अपने इष्ट देव, अपने गुरु का ध्यान अर्चन-पूजन करते हैं। इसके बाद पूरे शरीर में भभूत लगाकर साधना में लीन हो जाते हैं।