चैत्र नवरात्रि पर आज प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री की पूजा

चैत्र नवरात्रि पर आज प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री की पूजा

भोपाल [ महामीडिया] चैत्र नवरात्रि आज से शुरू हो रहे हैं और घट स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाएगी। शैल का अर्थ होता है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री भी कहा जाता है। पार्वती के रूप में इन्हें भगवान शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है। वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि श्रद्धा पूर्वक विधि-विधान के साथ मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा उपासना की जाती है, उसी सभी मनोकामानएं पूरी होती हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा देवी के मंडपों में पहले नवरात्र के दिन होती है। माता शैलपुत्री का स्वरूप बेहत शांत और सरल है। माता ने दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल धारण किया हुआ है। यह नंदी नामक बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान है। यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है। घोर तपस्चर्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव जंतुओं की रक्षक भी है। शैलपुत्री के अधीन वे समस्त भक्तगण आते हैं जो योग, साधना-तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते हैं। मां अपने भक्तों की हमेशा मनोकामना पूरी करती हैं और साधक का मूलाधार चक्र जागृत होने में सहायता मिलती है।

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